हनुमान जी के भक्त ये 5 गलती ना करे – आपके सवाल मेरे जवाब

Hanumanji se Jude Sawaal in Hindi

Hanumanji se Jude Sawaal in Hindi हनुमान जी के भक्त ये 5 गलती ना करे – आपके सवाल मेरे जवाब दोस्तों मुझे आपके कई सवाल आते है, ईमेल, कमैंट्स और इंस्टाग्राम के माध्यम से, लेकिन बहुत ज्यादा मैसेजस होने के कारण मैं हर सब्सक्राइबर को रिप्लाई नहीं दे पाता, जिसके लिए मैं आप सभी से क्षमा मांगता हूँ, लेकिन उन सवालों में से 5 सबसे ज्यादा पूछे जाने वाले सवालों के जवाब में आज इन 5 बातों के माध्यम से आप सभी को देना चाहता हूँ, Hanumanji se Jude Sawaal in Hindi 1. संकल्प पूरा ना करना: दोस्तों ज्यादातर लोग अपने संकट समय में प्रभु के सामने संकल्प लेते है, पर उनमें से कई ऐसे लोग भी होते है जो अपना संकल्प पूरा नहीं कर पाते है, इसके कई कारण हो सकते है, जैसे की घर में किसी का देहांत होना, महिला भक्तों को मासिक धर्म की समस्या होना या आपका किसी ऐसी परिस्थिति में होना जहां पूजा-पाठ करना संभव नहीं होना या अन्य कोई कारण, जिसकी वजह से वे प्रभु के सामने लिया हुआ संकल्प पूरा नहीं पाते करते है, Hanuman Chalisa Sankalp Niyam इस पर मैं इतना ही कहूँगा की चिंता ना करे, अगर आपके सामने संकल्प के दौरान कोई विघ्न आये तो प्रभु से क्षमा याचना मांगकर अपना संकल्प जारी कर सकते है, उदाहरण के तोर पर – जैसे अगर किसी व्यक्ति के घर में संकल्प के दौरान किसी का देहांत हो जाता है तो आप अपना संकल्प घर का सूतक खत्म होने के बाद जारी कर सकते है, क्योंकि सूतक के दौरान घर में पूजा-पाठ नहीं होता और इसी तरह महिला भक्तों के लिए अगर संकल्प के दौरान मासिक धर्म की समस्या हो जाए, तो मासिक धर्म समाप्त होने के बाद आप अपना संकल्प जारी कर सकते है, जैसे सूतक या मासिक धर्म के पहले अगर आपने 21 दिनों का संकल्प लिया है और उसमे से 10 दिन हो गए है तो सूतक या मासिक धर्म का समय पूरा होने के बाद आप 11वे दिन का संकल्प जारी कर सकते है, आपको शुरुवात से संकल्प रखने की जरुरत नहीं है, ये कंडीशन सिर्फ और सिर्फ जेन्युइन प्रॉब्लम वालो के लिए ही है, लेकिन कई लोग तो ऐसे भी होते है जो बिना किसी वजह के अपना संकल्प पूरा नहीं करते है और बहाने बनाने में माहिर होते है, उसके भी कई कारण होते है जैसे की आलस, मन का भटकना, विश्वास की कमी होना, आदि, उन लोगो से एक ही निवेदन है की आप ऐसा ना करे और अटूट विश्वास के साथ अपना संकल्प पूरा करें, देखना प्रभु की कृपा आप पर जरूर होगी, 2. बुरे कर्म: दोस्तों आपने कई लोगो को देखा होगा की वे पूजा-पाठ, ईश्वर की भक्ति तो बड़े मन लगाकर करते है, यानी आप उन्हें भक्ति के मामले में फुल मार्क्स दे सकते है, फिर भी उन्हें ईश्वर की कृपा प्राप्त क्यों नहीं होती? इसका जवाब है ‘बुरे कर्म तो लाख है, भलो कियो ना एक, फिर कहता हनुमंत से मुझे दया से देख’, बुरे कर्म करने वालो पर ईश्वर की कृपा नहीं होती, बुरे कर्म जैसे किसी निर्दोष का दिल दुखाना, व्यसन करना, किसी का धन हड़प लेना, पराई स्त्री को बुरी नज़र से देखना, किसी का अपमान करना, आदि एक तरफ आप ईश्वर की भक्ति करते हो और दूसरी तरफ बुरे कर्म करने से ईश्वर भला आपसे कैसे खुश होंगे, अगर ईश्वर की कृपा पानी है तो जैसे मैंने कई बार कहा है की इश्वर की सच्चे दिल से भक्ति के साथ अच्छे कर्म भी करे, अच्छे कर्म जैसे की किसी का दिल ना दुखाये, जरूरतमंदों की मदद करे, निर्दोष प्राणियों से प्रेम करे, अपनी यथा शक्ति के हिसाब से दान करे, पराई स्त्री को अपनी माँ और बहन की तरह माने, और ऐसे कई अच्छे कर्म है जिसे करने से देखना प्रभु की कृपा आप पर जरूर होगी, 3. निस्वार्थ भक्ति: दोस्तों स्वार्थ और निस्वार्थ भक्ति में ज्यादार तर लोग कंफ्यूज हो जाते है, कई लोग मुझसे पूछते है की कौन करता है निस्वार्थ भक्ति? हर इंसान भगवान से कुछ न कुछ मांगते तो जरूर है? तो ये भक्ति निःस्वार्थ कैसे हुई? इसके जवाब में मैं बस इतना ही कहूंगा कि जब इंसान घोर संकट में होता है, दुखों का पहाड़ टूट पड़ा होता है, जिससे बाहर आने का कोई रास्ता दिखाई नहीं देता, तब वो ईश्वर की शरण में जाता है और वो भगवान के सामने कुछ न कुछ माँगता जरूर है, ताकि वो इस संकट समय से बाहर आ सके, इसे मैं स्वार्थ वाली भक्ति नहीं कहूंगा, लेकिन जब दुःख के समय में भगवान के पास जाने के बाद धीरे-धीरे सब ठीक होने के बाद, जब वो ही इंसान उसी ईश्वर को भूल जाये जिसने उसे इस संकट से बाहर निकाला तब उस भक्ति को मैं स्वार्थ वाली भक्ति कहूंगा, इसलिए जो दुःख के समय में भगवान को याद करता है और सुख आने के बाद भी भगवान को नहीं भूलता और सच्चे दिल से उसी तरह ईश्वर की भक्ति करता है तो उसे निस्वार्थ भक्ति कहते है. पढ़े: मेरे प्रभु वही उपस्थित थे – हनुमान जी के चमत्कार की सच्ची घटना 4. अटूट विश्वास का ना होना: दोस्तों हम भक्ति तो करते है लेकिन प्रभु पर अटूट विश्वास कम या ना होने के कारण हमें पर्याप्त फल की प्राप्ति नहीं हो पाती है, दोस्तों हर इंसान की जिंदगी में उतार चढ़ाव आते ही है ऐसा कोई नहीं जिसके जीवन में कोई संकट ना आया हो, Hanumanji se Jude Sawaal in Hindi क्योंकि ज्यादातर अच्छे समय में प्रभु पर अटूट विश्वास तो होता है पर संकट समय में इच्छा अनुरूप परिणाम ना मिलने पर वो अटूट विश्वास डगमगाने लगता है और धीरे-धीरे प्रभु के प्रति हमारी श्रद्धा कम हो जाती है, इसपर मैं इतना ही कहूंगा कि जीवन में जब हमारी परीक्षा का समय होता है, यानी संकट समय जहाँ हमें जीवन में आगे क्या होने वाला है कुछ समझ ही नहीं आता, हमें विचार आने बंद हो जाते है, हमारा दिमाग ब्लॉक हो जाता है, तो उस समय धीरज रखे, अपने जीवन की डोर प्रभु के हाथों में दे अटूट विश्वास रखे और सब कुछ