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Hanuman ji ka Chamatkar
आखिर कौन थे वो बुज़ुर्ग व्यक्ति जिसने इस भक्त को मुसीबत से बाहर निकाला

Hanuman ji ka Chamatkar in Hindi

आखिर कौन थे वो बुज़ुर्ग व्यक्ति जिसने इस भक्त को मुसीबत से बाहर निकाला – हनुमानजी का चमत्कार

मेरा नाम वरुण चौहान है और में उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर का रहने वाला हूँ, मेरे जीवन में अब तक मुझे ऐसे कई बार अनुभव हो चूका है की जब जब मैंने श्री हनुमानजी को पुकारा है तब तब मेरे बजरंगबली ने मेरी रक्षा की है, Hanuman ji ka Chamatkar

आज में आप से 2 ऐसे अनुभव शेयर करना चाहूंगा जिससे मेरा जीवन बदल गया,

पहला अनुभव साल 2003 का है तब में बी.टेक करने के लिए आगरा गया था, पढ़ाई में मेरी कुछ ख़ास रूचि नहीं थी, लेकिन मेरे माता पिता ने मेरा एडमिशन आगरा के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में करवा दिए था,

साल 2003 तो ठीक रहा लेकिन 2004 का जून महीना आते ही में एक बहुत बड़ी मुश्किल में फंस गया, सेमेस्टर एग्जाम में एग्जामिनर ने मुझे चीटिंग करते हुए पकड़ लिया और अनफेयर मीन्स इन एग्जाम करके मुझे बुक कर दिया,

पहले तो एग्जामिनर से मैंने बहुत रिक्वेस्ट की लेकिन गरमा गर्मी बढ़ गयी और उसने मुझे धक्का दिया तो मैंने भी उन्हें अपशब्द बोल दिए,

जिससे एग्जामिनर ने यूनिवर्सिटी को मेरे खिलाफ कड़ी कारवाही करने के आदेश दे दिए और उसके बाद नियमों के अनुसार होता ये है की अगर आप चीटिंग में पकडे जाते है तो आपका सिर्फ उस एग्जाम में 0 कर दया जाएगा और आपको एग्जाम दोबारा लिखना होगा,

लेकिन मेरे साथ अलग ही हुआ मेरे सभी सेमेस्टर एग्जाम में 0 कर दिए गए क्योंकि एग्जामिनर ने मेरे खिलाफ हार्ड एक्शन के लिए यूनिवर्सिटी से अपील की थी,

उसके बाद 1-2 महिने बीतें मेरा रो रो के बुरा हाल हो गया था, घर के सभी लोग निराश थे क्योंकि मैंने काम ही ऐसा किया था,

मेरे पापा मेरे साथ लखनऊ यूनिवर्सिटी गए और वह के वाईस कौन्सेल्लोर से अपील की और उनसे रिक्वेस्ट हुए कहा कि सर इस केस में मेरे बेटे के एक एग्जाम में 0 होना चाहिए था लेकिन सभी एग्जाम में 0 नहीं होने चाहिए थे, ये मेरे बेटे का करियर का सवाल है,

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वाईस कौन्सेल्लोर ने मेरा केस री-ओपन करवाया और हमें घर जाने को बोला और कहा की आप अपने कॉलेज जाकर क्लासेज अटेंड कीजिये यहाँ समय बर्बाद न करे हम एक महीने के अंदर आपका केस री-एनालाइज करके दोबारा डिसिशन लेंगे और उसकी एक प्रतिलिपि आपके कॉलेज भिजवा देंगे,

ये सुनने के बाद हमें आशा थी कि कुछ होगा, लेकिन एक महिने बाद सप्टेम्बर मंथ में यूनिवर्सिटी से कॉलेज को जो लेटर आया, उसमे यही आया कि आपको सभी एग्जाम में 0 दिया जायेगा और अब आपको 4th सेमेस्टर में ये 2nd सेमेस्टर फर्स्ट ईयर के एक्साम्स दोबारा देने होंगे,

कुल मिलकर मुझे सभी 12 एक्साम्स पास करने थे और schedule सभी 12 एक्साम्स का एक ही डेट पर था, ये डिसिशन देखने में बहुत रोया, कई दिनों तक रोता रहा, जब मेरे मम्मी पापा ने ये सुना तो उन्होंने बोला कि तू बी.टेक छोड़ दे,

कॉलेज में भी दोस्तों ने यही राय दी कि छोड़ दो बी.टेक, मुझे मेरे रिश्तेदारों से आलोचना सुनने को मिल रही थी कि तू इस लायक नहीं कि ये पढ़ाई कर सके,

ये सब सुनकर मैं बहुत दुखी हुआ क्योंकि मैंने काम जो ऐसा किया था, ऐसी मुश्किल और विकत परिस्थिति में मुझे श्री हनुमानजी का अचानक स्मरण हुआ अंदर विश्वास आया की में कर सकता हूँ,

में तब से मंगलवार के व्रत करने लगा और पढ़ाई भी करता रहा क्योंकि 4th सेमेस्टर के एक्साम्स दिसंबर में होने थे, में हर रोज़ श्री हनुमान चालीसा पढ़ता था और मेरे प्रभु से जुड़ गया था,

दिसम्बर आ गया था और एग्जाम डेट्स अन्नोउंस हो गयी थी मेरे तयारी थी और मेरे बजरंगबलि पर विश्वास बहुत था, मैंने सभी एग्जाम पूरी क्षमता से दिए लेकिन एक एग्जाम की रात मुझे पढ़ाई करने में बहुत कठिनाई हो रही थी,

क्योंकि अगले दिन एग्जाम बहुत कठिन विषयों का था (Electromagnetic Field Theory aur Exam Electrical Engineering) में पूरी रात जागता रहा लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा था की में क्या करूँ,

रात के 3 बज गए और मेरी कुछ खास तैयारी नहीं हुई थी, मेरे आँखों से आँसू बहने लगे और मैंने सच्चे मन से पवनपुत्र से प्राथना की कि मुझे संकट से बचा लो, मैंने श्री हनुमान चालीसा पढ़ी और ऑंखें बंद कर के किताब में मैंने ऊँगली जिन प्रश्नों पर राखी बस वहीं मैंने सिर्फ याद किये,

और जब सुबह एग्जाम पेपर देखा तो मैंने पाया कि ज्यों के त्यों वही प्रश्न आये जो मैंने पढ़े थे और मेरे वो सभी 12 एक्साम्स पास हो गए चाहे भले ही मार्जिन पर बस पास किये,

आपको ये भी बताना चाहता हूँ कि श्री हनुमानजी की कृपा ऐसी थी की एक साधारण से लड़के पर उन्होंने अपना आशीर्वाद बरसाया क्योंकि अगर में ये सभी 12 एक्साम्स पास नहीं करता तो में थर्ड इयर में प्रमोट नहीं हो सकता था,

अब आपको अपना दूसरा अनुभव बताना चाहूंगा / Hanuman ji ka Chamatkar in Hindi

(2003-2007) के समय मैंने बिना वर्ष बर्बाद करे बी-टेक तो करली लेकिन मेरे परसेंटेज 58.7 ही थे और कोई भी कंपनी में सिलेक्ट होने के लिए मिनिमम 60% की ज़रूरत होती थी, तो मेरा किसी भी कंपनी में प्लेसमेंट नहीं हुआ और में बी-टेक करके घर आ गया,

घर आकर मुझे फिर से ताने मिलने लगे, नौकरी के लिए मैंने पंचकूला में 3000 रुपये की नौकरी की लेकिन 3 महीने बाद मैंने वो नौकरी छोड़ दी, घर दोबारा वापस आ गया फिर वही तनाव वाला माहौल,

एक रात पापा से मेरा झगड़ा हो गया और बहुत लड़ाई हुई मैंने गुस्से में अपना मोबाइल फेंक दिया और अपना हाथ जोर से दीवार में मारा जिससे मेरा हाथ ज़ख़्मी हो गया,

उन दिनों हमारे घर में एक किराएदार रहते थे, आवाज़ सुनकर वो आये और समझाया कि कुछ ग्रह दशा ठीक नहीं चल रही है तुम्हारी बेटा तुम सुंदरकांड का पाठ किया करो सिर्फ 40 दिन करो, भगवान् ने चाहा तो सभी समस्या समाप्त हो जायेगी तुम्हारी,

मैंने ऐसा ही किया, में हर रोज़ पूरी श्रद्धा से पाठ करता और पाठ करते ही मेरी आँखों से आसू आ जाया करते, कुछ दिन बीते ही थे की मेरे पापा ने किसी अंकल को मेरी जॉब के लिए बोला हुआ था की किसी इंडस्ट्री में अगर आपकी जान पहचान हो तो मेरे बेटे को एडजस्ट करवा दो,

अंकल ने मुझे कहा बेटा गुडगाँव जाना होगा, वहाँ मेरे एक दोस्त की कंपनी है 8000 रुपये महीना मिलेगा, में जाने के लिए तैयार हो गया, में सुंदरकांड का पाठ नित्य कर रहा था, आज भी वो दिन याद है मुझे 1st मार्च से गुडगाँव वाली कंपनी ज्वाइन करनी थी, तो में घर से निकला और मुज़फ़्फ़रनगर स्टेशन पर ट्रेन का इंतज़ार करने लगा,

मात्र ये करने से हनुमानजी ने मेरी माँ को नया जीवन दान दिया, हनुमानजी के चमत्कार की एक अद्भुत घटना

कोहरा होने की वजह से ट्रेन एक घंटा लेट हो गयी थी, ट्रैन का समय सुबह 8.30 बजे का था, मुझे एक व्यक्ति स्टेशन पर दिखे उनकी उम्र लगभग 55-60 के बिच की रही होगी, उन्होंने लाल स्वेटर और ग्रे कलर का ट्रॉउज़र पहना हुआ था,

वो मुझे मिले और कहा ट्रेन लेट है आज तो मैंने भी कहा हां ट्रेन लेट हो गयी है, मेरा घर रेलवे स्टेशन से नजदीक था लेकिन मेरा मूड निराश था चाहे तो में घर भी जा सकता था, लेकिन मैंने मन में निश्चय कर लिया था की घर वापस नहीं जाऊंगा,

एक घंटा बीत गया ट्रैन फिर एक घंटा लेट हो गयी, थोड़ी देर में अचानक वही आदमी स्टेशन पर फिर आया और कहा अरे ट्रैन तो लेट हो गयी एक घंटा और कहा जा रहे हो बेटा नौकरी के लिए?

ये सुनकर मैं सोच में पड़ गया की इसे कैसे पता चला, फिर मैंने कहा जी हां में नौकरी के लिए जा रहा हूँ और फिर मुझसे जनरल बातें की, पढ़ाई कहा से कि तुमने, कहा रहते हो वगेरे वगेरे,

मैं बहुत निराश था मैंने उस बुजुर्ग व्यक्ति से कहा की मुझे अकेला छोड़ दो और में वह से उठकर स्टेशन के दूसरी और जा बैठा, 8:30 वाली ट्रेन अब दो घंटे लेट हो गयी थी, 10:30 बज गए थे और स्टेशन पर भीड़ बहुत बढ़ गयी थी, लेकिन में वही बैठा रहा और ट्रैन का इंतज़ार करता रहा,

ऐसे करते 11.30 हो गए ट्रेन आने की अनाउंसमेंट बढ़ती जा रही थी, फिर वो ही बुजुर्ग आदमी 12 बजे दोपहर को मुझे स्टेशन पर वापस मिला क्योंकि अब तक भीड़ बहुत कम हो गयी थी क्योंकि ट्रैन अब बहुत लेट हो गयी थी,

उस आदमी के हाथ में एक खाली पानी की बोतल थी और उसने मुझसे कहा की अगर बुरा न मानो तो वो पास वाले नल से पानी भर ला दोगे, न चाहते हुए भी में पानी लेकर आया,

Indian Railway

फिर उसने मुझे अपने पास बैठाया और कहा बहुत गुस्सा करते हो भाई, अभी तक तुमने गुस्से में बहुत नुक्सान किया है अपना, उसने पुछा पूजा करते हो कि नहीं, मैंने कहा हां करता हूँ, फिर पुछा किस भगवान की करते हो, मैंने कहा बजरंगबली की,

फिर उसने एक एक मेरा हाथ पकड़ा और कहा ज़रा श्री हनुमान चालीसा बोलकर बताओ तो मैंने श्री हनुमान चालीसा बोलकर बतायी, फिर एक जगह मेरा उच्चारण थोड़ा गड़बड़ हुआ उसने तुरंत बोला ठीक से बोलो और उसी समय कहा ये पंक्ति ऐसे दोहराओ, मैंने वैसा ही किया,

उसके बाद उस आदमी ने मेरे पूरे परिवार के बारे में मुझे बतला दिया और मेरे कॉलेज वाली घटना भी याद करवाई, कहा गुस्से में बहुत नुकसान हो गया तुम्हारा, में ये सब सुनके चौंक गया कि इनको कैसे पता चला जब कि मैंने इन्हे ऐसा कुछ भी नहीं बताया,

तब तक 1 बज गया था और वो 8:30 बजे वाली ट्रेन लेट होते होते प्लेटफार्म पर दोपहर 1 बजे आ गयी, उस बुजुर्ग आदमी ने मुझसे कहा आओ मेरे साथ बैठो, में बिना सोचे समझे उनके साथ ट्रेन में जा बैठा,

जिस डिब्बे में हम बैठे कमाल की बात ये थी की उसमे मुश्किल से 3-4 आदमी थे, में और वो बुज़ुर्ग आदमी एक ही सीट पर बैठ गए, तभी वो बुज़ुर्ग आदमी ने कहा की मुझे हनुमानाष्टक सुनाओगे?

मैंने कहा मुझे हनुमानाष्टक कंठस्त नहीं है, तो वो थोड़ा हसे और बोले चलो मेरे पीछे पीछे बोलना, ट्रैन अपनी स्पीड से चल रही थी और में उनके पीछे पीछे हनुमानअष्टक बोल रहा था, उसके बाद उन्होंने मुझसे कहा की में तुम्हारे बारे में सब जान गया हूँ कुछ पूर्ववत तुमसे अपराध हुए थे जिसका आज निवारण हो जायेगा,

उन्होंने मुझे गले गया दिया और कहा की बेटा घबराओ मत सब ठीक हो जायेगा में तुम्हे अपनी उर्जा देता हूँ, में बिल्कुल स्तब्ध था और घबरा भी गया था, तब तक दिल्ली का शिवाजी ब्रिज स्टेशन आ चुका था, में बहुत डर गया था लेकिन बातों बातों में मैंने उनका मोबाइल नंबर ले लिया था और पुछा भी की आप कहा रहते हो,

वो मुझे कहते है की मेरा नाम कौशिक है और में वाराणसी जा रहा हूँ शाम 7 बजे की ट्रेन है दिल्ली से और फिर मैंने उनके चरण छुए और कहा गुरूजी मुझे आज्ञा से मेरा स्टेशन आ गया है उन्होंने एक बात और बोली, मुझसे बात करते रहना मोबाइल से और हां तुम्हारी नौकरी गुडगाँव में नहीं नॉएडा में लगनी चाहिए,

मुझे आभास हुआ की ये ज़रूर मेरे हनुमान जी ही थे, अगले दिन में गुडगाँव गया अंकल की बताई हुई कंपनी में 1st  मार्च से नौकरी से ज्वाइन कर ली काम करते हुए मुझे 1 हफ्ता हो गया था,

मेरे पास नोकिआ का मोबाइल था उस समय, मैंने अचानक सोचा कि कौशिक जी को कॉल करता हूँ, उनसे बात हुई और मेरा हाल चाल पूछा उन्होंने, मैंने उनका मुज़फ़्फ़रनगर वाले घर का एड्रेस भी लिया,

और उसी दिन किसी ने मेरा मोबाइल चोरी कर लिया, में बहुत निराश हो गया क्योंकि एक ही मोबाइल था मेरे पास और वो भी चोरी हो गया, फिर शाम को में मेरे मामा जी के घर पंहुचा क्योंकि उन दिनों में दिल्ली में मामा के घर रहता था,

तो मामाजी ने बताया कि तुम्हारा मोबाइल नहीं लग रहा था आज पूरे दिन से नॉएडा से कॉल आया था तुम्हारा इंटरव्यू है, उनके घर के लैंडलाइन पर नॉएडा के किसी कंपनी का कॉल आया था क्यूंकि अपने बायोडाटा में मैंने लैंडलाइन और मोबाइल नंबर दोनों दे रखे थे,

13 मार्च 2008 को मैंने इंटरव्यू दिया और उसी कंपनी में मेरा सिलेक्शन हो गया वो भी 28000 पर मंथ सैलरी के साथ, अब ये श्री हनुमानजी की कृपा नहीं तो क्या है आप ही बताये,

समय निकल के में कौशिक जी से मिलने गया जो एड्रेस उन्होंने मुझे फ़ोन पर बताया था, जाकर देखा तो पता चला की वहा कुछ भी नहीं था एक खाली मैदान था उस जगह और ना ही उनका फ़ोन लग रहा था,

श्री हनुमानजी ने ही मुझे उस संकट से निकाला था, संकट कटे मिटे सब पीरा जो सुमिरै हनुमत बलबीरा,

आज 2020 हो चूका है, ऐसे और भी बहुत चमत्कार हुए है मेरे साथ जब मुझे श्री हनुमानजी ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से मेरी सहायता की है, में श्री हनुमानजी की कृपा से जीवन में निरंतर आगे बढ़ रहा हूँ, मुझे एक सुंदर बेटा भी है,

हे बजरंगबली आप सदैव मेरे साथ रहे प्रभु, अपने चरणों की धुल बना कर रखिए प्रभु. Hanuman ji ka Chamatkar in Hindi


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धन्यवाद 🙂

जयेश वाघेला

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