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Bajrangbali ka Adbhut Chamatkar
जिसके सर पर बजरंगबली का हाथ हो उसका कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता

Bajrangbali ka Adbhut Chamatkar in Hindi

जिसके सर पर बजरंगबली का हाथ हो उसका कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता

मेरा नाम अरूपज्योति चौधुरी है और मैं गुवाहाटी के नूनमति का रहने वाला हूँ, मैंने पहले भी आपको मेरे अनुभव के बारे में लिखा था जो आपने अपने वीडियो में शेयर भी किया था जिसके लिए मैं आपको बहुत बहुत धन्यवाद करना चाहता हूँ, Bajrangbali ka Adbhut Chamatkar in Hindi

आज मैं आपसे एक ऐसी घटना शेयर करने वाला हूँ जो मेरे पहले अनुभव से भी ज़्यादा चौंकाने वाला है, यह एक ऐसा भयंकर हादसा था जिसमे मेरी जान भी जा सकती थी और आज भी जब मैं उस अनुभव को याद करता हूँ तो मेरा दिल दहल जाता है,

ये बात 23th अप्रैल 2019 की है उन दिनों मैं रिटेल स्टोर विशाल मेगा मार्ट जो कि गणेशगूरी में लोकेटेड है वहा नौकरी करता था और मेरी ड्यूटी का समय सुबह 10 बजे से रात के 8 बजे तक था,

उन दिनों मेरी वाइफ प्रेग्नेंट थी और वो अपने मइके में रहती थी, मेरी वाइफ की माँ का घर डोलिबरी नाम की जगह है जो मेरी सिटी से करीब 30 km की दूरी पे है, मैं रोज़ ड्यूटी खत्म होने के बाद रात को उनके घर जाया करता था और मुझे उनके घर पहोचने में लगभग डेढ़ घंटा लगता था,

मैं 23th अप्रैल को भी उनके घर से सुबह ड्यूटी के लिए निकला था और जितने भी दिन मैं उनके घर रहा एक भी दिन मैं सही तरीके से मेरे प्रभु हनुमानजी की पूजा नहीं कर पा रहा था, मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा था, क्योंकि मेरे रेगुलर रूटीन में बदलाव आने लगा था,

फिर भी ऑफिस में फ्री टाइम मिलने पर मैं एक कागज़ में जो मैंने खुदने लिखी हुई श्री हनुमान चालीसा थी वो पढता था और रात को ऑफिस से निकलने के समय एक बार वो कागज़ निकाल कर पार्किंग लॉट में मन से पढता था,

तो 23th अप्रैल के दिन जब मैं ड्यूटी से निकला तब हलकी सी बारिश हो रही थी, मैं ऑफिस से रात 8 बजकर 10 मिनट के आस पास निकला था और उस दिन मुझे रास्ते में बहुत ट्रैफिक जाम मिला,

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Traffic Jam

जब मैं आधे रास्ते तक पंहुचा तो बारिश बहुत तेज़ हो गयी और मैं भी भीग कर ही गाड़ी चला रहा था, जब मैं 20 km चला तब रास्ते में एक बहुत बड़ा ब्रिज आता है, उस ब्रिज का नाम सरायघाट है, वो ब्रिज के बाद मेरे गुवाहाटी सिटी का एरिया खत्म हो जाता है,

जब मैं उस ब्रिज तक पंहुचा तो देखा कि ब्रिज पर पहले से ही काफी ट्रैफिक जाम हो चुका था, तब रात के करीब 9:10 मिनट हुए थे और मैं भी ब्रिज पर 10 मिनट तक जाम में ही फंसा हुआ था,

मुझे बहुत बेचैनी हो रही थी कि मैं कब घर पहुँचूँगा, मेरे सारे कपड़े भीग चुके थे यहाँ तक कि मेरा पर्स भी भीग चुका था, जब मैंने अपना पर्स निकाला तो देखा कि जो कागज़ था जिसमे मैंने अपने हाथ से श्री हनुमान चालीसा लिखी थी वो भी भीग गया था और उसके दो टुकड़े हो गए थे,

मुझे बहुत बुरा लगा और जो स्याही से लिखा था वो भी भीगने के कारण फ़ैल गयी थी, तभी अचानक ट्रैफिक जाम खत्म हुआ और मैंने अपनी गाड़ी स्टार्ट की और जो कागज़ था श्री हनुमान चालीसा लिखा हुआ उसे मैंने अपने शर्ट की ऊपर वाली पॉकेट में रख दिया और अपनी स्कूटी चलाने लगा,

मैं मन ही मन उस बात के दुःख से सोचते हुए गाडी को ब्रिज के साइड से चलाने लगा, मुझे पता नहीं था कि रोड का साइड बारिश के कारण फिसलाऊ हो चूका था, जिसकी वजह से मैं अपना स्कूटी का बैलेंस खो रहा था और उसी समय मैंने डर के कारण गलती से ब्रेक मार दी,

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जब मैंने ब्रेक मारी तो मेरी गाडी पूरी की पूरी पलटी मार कर फिसल गयी और मेरे राइट साइड से एक के बाद एक बड़े 10 पहिये वाले ट्रक चले जा रहे थे और मैं गिर के ट्रक के नीचे आ गया,

मेरी स्कूटी की हेडलाइट पूरी टूटकर बाहर निकल आयी थी, जब मैं गिरा तो उसी समय मेरे मुँह से एक बार के लिए जय हनुमान का नाम ज़ोर से निकला था, मेरे पीछे जो भी गाडी वाले थे उन्हें लगा कि मेरी मौत हो गयी है, क्योंकि उन लोगो ने खुद देखा था की मैं बहुत ज़ोर से ट्रक के नीचे आया था,

जो ट्रक मेरे ऊपर से गुज़रा था वो असल में मेरे ऊपर से नहीं मेरे साइड से गुज़रा था और वो ट्रक इतना स्पीड में था कि लोगो को लगा कि ट्रक मेरे ऊपर से गुज़रा, मैं भी बहुत ज़ोर से फिसल कर गिरा था और वही पर पड़ा रहा, थोड़ी देर के लिए तो मुझे समझ ही नहीं आया की आखिर मेरे साथ हुआ क्या,

मेरे पॉकेट में जो श्री हनुमान चालीसा का कागज़ था वो निचे पड़ा था, मेरे हाथ में से बस थोड़ा खून निकल रहा था, लोगो ने मुझे उठाया और पानी पिलाया, मैं खुद भी हैरान था कि मैं कैसे बच गया, Hanumanji ke Chamatkar ki Sacchi Kahani

बस मुझे इतना पता है कि गिरने से पहले मैंने जय हनुमान का नाम चिल्लाकर पुकारा था, मैं पूरा कन्फर्म हो गया कि प्रभु ने मेरी अग्नि परीक्षा ली थी और मैं पूरा सफल रहा, मुझे मेरे प्रभु पर विश्वास था की मेरे प्रभु मेरी हर हाल में मदद करेंगे,

बाद में मैंने वो मेरी हनुमान चालीसा का कागज़ उठाया और उसे चुम के अपने दिल से लगाया और उसे घर जाकर एक लॉकेट में डाला और उसे हर समय अपने पास रखता हूँ,

इस हादसे ने मुझे साफ़ तोर पे स्पष्ट कर दिया था कि मैं हमेशा अपने प्रभु के पास रहूँ और दूर न जाऊ, क्योंकि मेरा 10 दिन का पूजा पाठ रुकने से मेरे लाइफ में अलग ही चेंजेस आये थे,

मैं ये भी जानता था की मैं अगर प्रभु से दूर भी चला गया तो भी मेरे प्रभु मेरा साथ नहीं छोड़ेंगे और ये अनुभव उसी का सबसे बड़ा उदहारण है और आज ये भी पता चल गया कि जिसके सर पर बजरंगबली का हाथ हो उसका कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता,

मेरे प्रभु ने जिंदगी के हर मोड़ पर मेरा साथ दिया है, आखिर में बस यही कहना चाहूंगा की अगर आपकी भक्ति सच्ची है तो प्रभु आपको कभी कोई संकट में नहीं आने देंगे, वे हर हाल में आपकी सहायता ज़रूर करेंगे.


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धन्यवाद 🙂

जयेश वाघेला

 

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