Ghanteshwar Hanuman Mandir Chamatkar

जहां डॉक्टर्स भी हार गए वहां हनुमान जी ने दिखाया रास्ता – हनुमान जी के चमत्कार से जुडी सच्ची घटना

मेरा नाम दिक्षा है मेरी उम्र 26 साल है और में मुंबई की रहनेवाली हूँ वैसे मेरा नेटिव प्लेस उत्तर प्रदेश है, मैं शेयर मार्किट में जॉब करती हूँ, मैं बजरंगबली को बहुत मानती हूँ और आज तक मैं जो भी हूँ उनकी ही वजह से हूँ,

मैंने अपने जीवन में कई बार श्री हनुमान जी की कृपा को महसूस किया है जिसमे से एक अनुभव आपसे शेयर करना चाहती हूँ जिसमे मेरे बजरंगबली ने नामुमकिन को मुमकिन किया जब सारे दरवाज़े बंद हो गए थे,

जयेश भाई ये बात 2019 की है मेरी माँ बहुत बीमार थी, मेरी माँ न्यूरो की पेशेंट है, उन दिनों मेरी माँ बेड रेस्ट पे थी, वो सिर्फ ज़रूरत के काम ही कर पा रही थी जैसे कि खाना पीना नहाना वगेरे वगेरे, क्योंकि मेरी माँ को रोज फीवर होता और उनका वजन भी कम हो रहा था,

हमने बहुत डॉक्टरों से बात की लेकिन कोई भी इस बीमारी का उपाय नहीं बता पाता, हमें जिस किसी ने भी जो जो डॉक्टरो के एड्रेस दिए हम वहाँ गए पर कोई रिजल्ट नहीं आ रहा था,

उनको बेड पे हमेशा लेटने की वजह से पैर में DVT भी हो गयी थी जिससे उनका पैर भी सूज गया था, ये सब देखकर हम बहुत परेशान हो गए थे की मम्मी कैसे ठीक होगी,

फिर हमने हमारे पास ही के एक हॉस्पिटल में मम्मी का ब्लड टेस्ट करवाया तो हमें पता चला की उनका HB यानी हीमोग्लोबिन 4 पे आ गया है और डॉक्टर ने सलाह दी कि उन्हें जल्द एडमिट करे, तो हमने पास ही के एक गवर्नमेंट हॉस्पिटल में मम्मी को एडमिट किया,

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woman in hospital

वहां एडमिट करने के बाद प्रोब्लेम्स तो जैसे बढ़ने लगी, क्योंकि मम्मी की तबीयत बहुत ख़राब हो रही थी और वो हॉस्पिटल में ज़्यादा सुविधा भी नहीं थी, हमने वहा मम्मी को दो बार ब्लड चढ़ाया पर उनकी सेहत में कोई सुधार नहीं आया,

वहा भी मम्मी को हर रोज़ फीवर रहता और कई बार तो 104 तक फीवर चला जाता, वहां के डॉक्टर को भी ऐसा केस फर्स्ट टाइम मिला था क्योंकि वहाँ MD डॉक्टर ही थे, Hanumanji ki Sacchi Kahani

मम्मी ने वहाँ जाकर खाना भी बंद कर दिया था, अपना नाम और यहाँ तक की हम सभी को भी पहचान नहीं पा रही थी, फिर वहां के डॉक्टर ने ICU के डॉक्टर से मम्मी के केस के लिए बात की और मम्मी को ICU में शिफ्ट किया गया,

मम्मी को वहाँ जाकर थोड़ी रिकवरी मिली, वो अपना नाम तो बताती पर जैसी पहले थी वैसी नहीं हुई, वो कभी भी कुछ भी बात करती थी, जैसे मानो अपने आप में ही थी और वो मेरे पापा को अपने पापा समझती, मुझे और मेरी बहन को अपनी बहन समझती और मेरे भाई को अपना भाई समझती,

जयेश भाई उस समय तो वे वर्त्तमान समय के बारे में सब कुछ भूल गयी थी, उन्हें सिर्फ अपने मायके का याद था और ICU में शिफ्ट करने के बाद मम्मी का CSF टेस्ट हुआ जो कमर से पानी निकालने वाला टेस्ट होता है पर रिपोर्ट में कुछ नहीं आया,

मम्मी को फीवर और DVT की वजह से पैर एकदम सूज गया था और जब वहाँ के सीनियर डॉक्टर आये तो उन्होंने कहा कि ऐसा केस उनके पास पहली बार आया है और उन लोगो के पास इसका कोई सलूशन नहीं है, फिर उस डॉक्टर ने हमें मुम्बई के KEM हॉस्पिटल जाने की सलाह दी,

4th दिसम्बर 2019 को हमने रात 12.30 बजे ICU का बिल पे किया और मेरी दीदी का एक फ्रेंड है जो हमारे साथ थे जिन्होंने हमारी बहुत मदद की और उसी दिन मम्मी को शिफ्ट किया और रात होने की वजह से सुबह के compare में भीड़ बहुत कम थी,

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वहा पर एडमिट होने से पहले मम्मी को 3 डॉक्टरों ने देखा और हमें जवाब दे दिया था की कंडीशन ठीक नहीं है हम जितनी होगी उतनी पूरी कोशिश करेंगे पर कोई गारंटी नहीं दे सकते,

ये सुनकर तो मैं और मेरी दीदी बहुत डर गए थे और हम दोनों रोने लगे, क्योंकि हमने मम्मी को लाने में देर कर दी थी पर मेरा मन हमेशा मेरे बजरंगबली को याद करता है और प्रभु से कहता है की “हे प्रभु सब ठीक कर दो आपने ही हमें रास्ता दिखाया है”

मैं उस समय मंदिर भी नहीं जा पाती थी, क्योंकि सारा समय हमारा हॉस्पिटल में ही बीतता था, मैंने और मेरी दीदी ने ऑफिस से छुट्टी ले रखी थी, यहाँ तक की हम घर भी जाना पसंद नहीं करते थे,

फिर मेरे गांव से मेरी मौसी आयी और वो हम लोगो को टाइम टाइम पे खाना पीना देती और घर पे भी बुलाती, मौसी के आने के दूसरे दिन ही उन्होंने पंचमुखी हनुमानजी की मूर्ति मंगवाई और घर में स्थापित करवायी, बजरंगबली की मूर्ति घर में आते ही धीरे-धीरे हालात सुधरने लगे,

मम्मी का केस वहां के सीनियर डॉक्टर की टीम को मिला उन्होंने मम्मी के सारे प्रॉब्लेम्स को पकड़ा, वहा भी मम्मी ओरली कोई खाना नहीं ले रही थी, उन्हें नाक में पाइप लगाया था जिससे हर 4 घंटे के बाद जूस, दाल का पानी या दूध वगेरे देते थे, Ghanteshwar Hanuman Mandir Chamatkar in Hindi

मैं तो बाहर जाकर रोती थी और बजरंगबली से प्रार्थना करती थी कि मम्मी को ठीक कर दो वो बहुत तकलीफ में है और वहां के डॉक्टर ने DVT के लिए फ़िल्टर लगाने की सलाह दी, क्योंकि मम्मी का दिल भी बहुत कमज़ोर हो चूका था,

मम्मी का हीमोग्लोबिन भी 5 पर ही था और फ़िल्टर के लिए हीमोग्लोबिन 9 तक होना चाहिए और उसमे जो भी टेस्ट लिखे थे उनको करने में 15 दिन और लग जाते,

पर कहते है न अगर बजरंगबली ने चाहा तो सब सम्भव हो सकता है, वार्ड के डॉक्टर ने सलाह दी की एक DVT वाले डॉक्टर को पूछ के आओ, क्योंकि हम ऑपरेशन नहीं करवाना चाहते थे क्योंकि ऑपरेशन का खर्चा ही 1,50,000 तक हो जाता है,

डॉक्टर ने मेरी दीदी को राजीव गांधी योजना के बारे में बताया लेकिन काम होने में और फॉर्मलिटीज पूरी करने में काफी दिन निकल जायेंगे, पर जयेश भाई आप विश्वास नहीं करोगे कि हमारा काम 2 दिन में हो गया मानो प्रभु ही हमें रास्ता दिखा रहे है,

डॉक्टर ने कहा की आप चिंता न करे मम्मी को लेकर आओ हम फ़िल्टर लगाके उनका ये प्रॉब्लम resolve करते है, हम मम्मी को लेकर आये और उन्होंने ट्रीटमेंट शुरू कर दी,

उस दिन से मम्मी नार्मल हो गयी थी, हम सभी को पहचान रही थी और जवाब भी दे रही थी, मम्मी को 28th जनवरी 2020 में डिस्चार्ज मिला और घर आने के बाद डॉक्टर ने जो कहा था उसे हम फॉलो करते गए, मम्मी अब चलने भी लगी थी,

पहले मम्मी का वेट 40-42 किलो के ऊपर कभी आया ही नहीं अब बजरंगबली की कृपा से 62 पे है और उनका हीमोग्लोबिन भी 12 पे है, मम्मी अब बिलकुल ठीक है, Bajrangbali ka Chamatkar

जैसे ही मम्मी को घर लाये मैं अगले शनिवार को हमारे पास में एक घण्टेश्वर हनुमान मंदिर है वहाँ गयी और एक घंटी प्रभु को चढाई, यहाँ हज़ारों भक्त सच्चे दिल से मन्नत मांगते है और प्रभु सबकी मन्नत पूरी भी करते है,

इससे ये सिद्ध होता है कि बजरंगबली आज भी हमारे साथ है और हमेशा हमारी मदद करते है और 1st जनवरी 2021 को मैं अपनी मम्मी को वो मंदिर प्रभु के दर्शन करने ले गयी थी, वहा जाकर बहुत ही सुकून मिलता है.


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