Kashtbhanjan Sarangpur Hanumanji Chamatkar in Hindi
आखिर बुलावा आ ही गया – सारंगपुर कष्टभंजन हनुमान जी के चमत्कार की सच्ची घटना
मैं अपना नाम गुप्त रखना चाहता हूँ, जयेश भाई मैंने आपकी वीडियोस में बहुत सारे हनुमान जी की कृपा से जुड़े अनुभव देखे है, तो मैंने सोचा क्यों ना मैं भी अपने साथ घटित हुआ हनुमान जी की कृपा से जुड़ा अनुभव सभी भक्तों से शेयर करू, Kashtbhanjan Sarangpur Hanumanji Chamatkar in Hindi
ये बात 2019 की है, मैं दिल्ली से अहमदाबाद अपनी नानी के घर जा रहा था, वहाँ जाने से पहले मैंने आपकी चैनल में एक वीडियो देखा था जिसमे आपने बताया था कि गुजरात के वड़ताल में एक ऐसा मंदिर है जहाँ श्री स्वामिनारायण भगवान की मूर्ति में आज भी उनका दिल धड़कता है,
मैंने जब गूगल मैप पे देखा तो पता चला की ये मंदिर अहमदाबाद से ज्यादा दूर नहीं है, मैंने अपने मामा से बोला की मुझे वड़ताल जाना है तो वो मुझे वहां ले गए,
वहाँ मैंने सारंगपुर के कष्टभंजन हनुमानजी का नाम पहली बार सुना, मैंने अपने मामा से पुछा तो पता चला कि ये वही अलग तरह के हनुमानजी है जिनकी प्रतिमा बिलकुल अलग है और जिनकी फोटो अहमदाबाद के हर हनुमान मंदिर में है,
मेरे मामा ने कहा कि ये मंदिर वड़ताल से करीब 3 से 3.30 घंटे की दूरी पर है, कहो तो ले चलूं, लेकिन शाम बहुत हो चुकी थी और हमें घर भी वापस जाना था तो मैंने मना कर दिया, मैंने कहा की अगले साल गर्मियों की छुट्टियों में चलेंगे,
मैंने वापस दिल्ली जाकर इस मंदिर के बारे में पता किया, तो मुझे इस मंदिर की और हनुमानजी की महिमा के बारे में पता चला, इसका सबसे ज्यादा शुक्रिया मैं जयेश भाई आपको करना चाहूंगा, आपके वीडियोस देखकर मुझे श्री कष्टभंजन हनुमानजी के मंदिर के बारे में बहुत कुछ पता चला,
पर असली मुसीबत अब आने वाली थी 2020 में कोरोना आ गया और हम लॉकडाउन के दौरान अपने होमटाउन आ गए, तो सारंगपुर जाना नहीं हो पाया, दुःख की बात ये भी थी कि मैंने फिजिकल एक्टिविटीज पे ध्यान नहीं दिया और घर पर ही रहा जिससे मेरे घुटने जम गए थे, Kashtbhanjan Sarangpur Hanumanji Chamatkar in Hindi
ना मैं भाग पाता और ना मैं कुद पाता, कुछ समय बाद तो मेरी चाल भी ख़राब हो गयी, मैंने अलग-अलग एक्सरसाइज की पर कोई फायदा नहीं हुआ, फिर जैसे तैसे मेरी चाल सही हुई, मुझे याद आया की कष्टभंजन हनुमानजी सारी दुविधा और कष्ट दूर करते है, तो मैंने उनसे और अन्य देवी देवताओं से प्रार्थना की,
फिर 29 अगस्त 2021 यानी जन्माष्टमी से ठीक एक दिन पहले पता नहीं कैसे मैं भागने लगा मुझे बहुत ज्यादा ख़ुशी हुई, फिर क्रिसमस की छुट्टियों के दिनों में मैं अपनी नानी के घर अहमदाबाद आया और मैंने अपने मामा से बोला कि प्लीज मुझे सारंगपुर ले चलो, मामा ने कहा ठीक है,
फिर 12 जनवरी सुबह 6 बजे हम सारंगपुर के लिए निकल गए, उस दिन मैं बहुत खुश था, पर थोडा टेंशन भी था कि कहीं किसी को कोविड ना हो जाये, रास्ते में हमें बहुत ज्यादा ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ा, मामा ने कहा कि शायद अब घर वापस जाना पड़े क्योंकि ट्रैफिक जाम के कारण सब निराश हो गए थे,
ये सुनकर मेरी हिम्मत टूट गयी, कार के स्पीकर में सुंदरकांड का पाठ चल रहा था, मैंने हाथ जोड़कर प्रभु से प्रार्थना की कि, “हे प्रभु हमें आपके दर्शन करने आना है प्लीज ये ट्रैफिक जाम को ठीक कर दो”, जयेश भाई प्रभु की लीला तो देखो 15 मिनट के अंदर ट्रैफिक जाम खत्म हो गया और आखिर हम मन्दिर पहुँच ही गए,
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मंदिर में प्रवेश करते ही जैसे ही मैंने हनुमानजी की मूर्ति को देखा तो मेरे शरीर के अंदर एक अलग सी उर्जा का संचार होने लगा, मैं रास्ते भर की सारी थकान भूल गया, मैंने वहाँ खड़े होकर हनुमान चालीसा का पाठ किया और प्रभु को प्रसाद चढ़ाया, Kashtbhanjan Sarangpur Hanumanji Chamatkar in Hindi
उसके बाद मैं श्री हरि मंदिर और स्वामीनारायण मंदिर गया, फिर वहाँ दूकान से मैंने हनुमानजी की फोटो खरीदी और फिर सही सलामत घर आ गया, सच कहुँ जयेश भाई मेरा तो न्यू ईयर के दिन जाने का प्लान बना था, पर मेरे भाई के एक्साम्स की वजह से हम नहीं जा पाये,
सारंगपुर जाकर पता चला कि मंगलवार, शनिवार और रविवार वहाँ बहुत भीड़ होती है और न्यू ईयर के दिन शनिवार था, इसका मतलब हनुमानजी चाहते थे कि मैं मंदिर उस दिन ना जाकर बुधवार को जाऊ, ताकि कोविड के समय मैं भीड़ भाड़ में ना जाऊ और सच में मैं बस रो ही पड़ा, मैंने जाकर प्रभु को धन्यवाद किया.
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